पुरुष बांझपन (Male Infertility) से जुड़े कई मेडिकल टर्म्स को अक्सर लोग एक-दूसरे से मिलाकर देख लेते हैं। इनमें से दो सबसे आम शब्द हैं – एस्पर्मिया (Aspermia) और एज़ोस्पर्मिया (Azoospermia)। पहली नज़र में ये मिलते-जुलते लग सकते हैं, लेकिन दोनों अलग स्थितियां हैं और इनके इलाज का तरीका भी अलग होता है। आइए समझते हैं इनके बीच का अंतर, कारण, लक्षण और उपलब्ध उपचार।
एस्पर्मिया का मतलब है वीर्य का बिल्कुल न बनना या स्खलन (Ejaculation) के दौरान वीर्य का बाहर न आना।
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एज़ोस्पर्मिया का मतलब है कि वीर्य में शुक्राणु (Sperm) मौजूद ही नहीं हैं। इस स्थिति में व्यक्ति स्खलन तो करता है, लेकिन वीर्य में कोई स्पर्म नहीं होता।
विशेषता |
एस्पर्मिया (Aspermia) |
एज़ोस्पर्मिया (Azoospermia) |
परिभाषा |
स्खलन के समय वीर्य न निकलना |
वीर्य में स्पर्म का न होना |
कारण |
नर्व समस्या, ब्लॉकेज, हार्मोनल गड़बड़ी |
टेस्टिकुलर फेल्योर, जेनेटिक वजहें, ब्लॉकेज |
प्राथमिक लक्षण |
वीर्य का बिल्कुल न आना |
वीर्य में स्पर्म की अनुपस्थिति |
बांझपन पर असर |
प्राकृतिक गर्भधारण असंभव |
प्राकृतिक गर्भधारण असंभव |
(क) एस्पर्मिया के कारण
एस्पर्मिया
डॉक्टर आमतौर पर निम्नलिखित टेस्ट सुझाव देते हैं:
एस्पर्मिया का इलाज
Maaeri IVF Centre, Noida में अनुभवी एंड्रोलॉजिस्ट और IVF विशेषज्ञ द्वारा एस्पर्मिया और एज़ोस्पर्मिया दोनों का उन्नत स्तर पर इलाज उपलब्ध है। यहां अत्याधुनिक तकनीकों जैसे TESE, PESA, ICSI, IVF का उपयोग किया जाता है जिससे सफल गर्भधारण की संभावना बढ़ती है।
एस्पर्मिया और एज़ोस्पर्मिया, दोनों ही स्थितियां पुरुष प्रजनन क्षमता को प्रभावित करती हैं। सही पहचान और समय पर इलाज से पितृत्व का सपना पूरा किया जा सकता है। अगर आप या आपके परिवार में किसी को ऐसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है, तो विशेषज्ञ डॉक्टर से तुरंत परामर्श लें।
Maaeri IVF Centre, Noida हमेशा आपके साथ है, आपकी खुशहाल परिवार की यात्रा में।